‘ज्ञानी’ से कवियत्री का क्या अभिप्राय है?
ज्ञानी से कवियत्री का अभिप्राय एक ऐसे व्यक्ति से है जो हिंदू-मुसलमान दोनों में कोई अंतर न करे सरल भाषा में कहें तो ऐसा व्यक्ति जो धार्मिक आधार पर इंसानों में भेदभाव न करता हो क्योंकि देानेां ही उसी एक प्रभु की रचना है| साथ ही वह व्यक्ति अपने आप को पहचानने या आत्म-ज्ञान रखनेवाला भी हो। आत्म-ज्ञान को पहचानने वाला मनुष्य ही ज्ञानी होता है क्योंकि वह अपने आपको ठीक से समझ पाता है और उसमें आत्म संयम भी होता है| कवियत्री ने ऐसे व्यक्ति को ही आत्म ज्ञानी कहा है|